लेखनी कविता -22-Aug-2024
शीर्षक - हताश
हताश हम देख मौसम हो जाते हैं। हमारे काम और होने रह जाते हैं। बस जीवन और जिंदगी रहती हैं। हम जीवन में हम हताश न होते हैं। हमारी सोच हमेशा सकारात्मक है। हताश और हम कुदरत के साथ हैं। तेरे मेरे सपने हताशा में न रहते हैं। सोच हमेशा सकारात्मक होनी हैं। हताश हमें सभी अपने करते हैं। मौसम और कुदरत समझते हैं। मानव बस एक मौसम का नाम है। वायु आकाश अग्नि भूमि जल हैं। हताश तो हम सभी की सोच हैं।
नीरज कुमार अग्रवाल चंदौसी उ.प्र
Arti khamborkar
21-Sep-2024 08:49 AM
v nice
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